अहिंसा के रक्षक देवता

एक संत अपने एक साधक साथी के साथ कहीं जा रहे थे | रास्तें में एक आदमी आया और झूठें आरोप लगाकर उस साधक को गालियाँ बकने लगा | कुछ समय तक तो उस साधक ने सभी गालियों को बर्दास्त किया पर बाद में उसको गुस्सा आ गया और वह भी गालियाँ देने लगा | दोनों को लड़ते देख संत आगे बढने लगे | कुछ देर बाद साधक दौड़कर संत के पास आ गया और कहने लगा – “महाराज! आप मुझे अकेला छोड़कर क्यों चले गये थे?” संत ने कहा – “तुम अकेले कहाँ थे, तुमने भी गलियों को अपना साथी बना लिया था और उसको धमकी देने लगे तब मैंने समझा अब इसको मेरी जरुरत नहीं है और जब वह आदमी तुम को गालियाँ दे रहा था तब शुरू में तुम चुप थे उस वक्त मैंने देखा की सहिष्णुता के देवता तुम्हारी रखवाली कर रहे थे जिससे वहा दबा जा रहा था पर जब तुमने भी गालियाँ देनी शुरू कर दी तब वह सब देवता वहां से चले गए और मैं भी आगे चला आया”

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