सप्तर्षि – आकाश में विद्यमान सात तारों परिचय

अलग-अलग मन्वन्तरों में धर्म और मर्यादा की सुरक्षा के लिये जो सात ऋषि प्रकट हुआ करते हैं, उन्हें ही सप्तर्षि कहते हैं। उन्हीं की तपस्या, शक्ति और ज्ञान के प्रभाव से संसार सुख और शांति से रहता है। हरिवंश, विष्णु पुराण, पद्म पुराण, मत्स्य पुराण आदि के मत से स्वायम्भुव मन्वन्तर में और कइयों के मत से वैवस्वत मन्वन्तर भी निम्नलिखित सात ऋषि सप्तर्षि होते हैं, ये हमेशा ध्रुव की परिक्रमा करते हुए जगत का धारण-पोषण करते हैं – मरीचि, अत्रि, अंगिरा, पुलस्त्य, पुलह, क्रतु और वशिष्ठ।
Facebook
Twitter

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Shopping cart0
There are no products in the cart!
Search Products
×