Srimad Valmikiya Ramayan Sachitra Satik Granthakar ( Set Of 2 Books )

720.00

10 in stock

Book Code – 1939

Total Pages – 989

Book Code – 1940

Total Pages – 992

Source –  Ramayan

श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण ( कोड- १९३९-१९४० )- त्रेतायुग में महर्षि वाल्मीकि श्रीमुखसे साक्षात् वेदों का ही श्रीमद्रामायणरूप में प्राकट्य हुआ था, ऐसी आस्तिक जगतकी मान्यता है। अतः श्रीमद्रामायणको वेदतुल्य प्रतिष्ठा प्राप्त है। धराधामका आदिकाव्य होनेके कारण इसमें भागवान् के लोकपावन चरित्रकी सर्वप्रथम वाड्मयी परिक्रमा है। इसके एक-एक श्लोकमें भगवान् के दिव्य गुण, सत्य, सौहार्द, दया, क्षमा, मृदुता, धीरता, गम्भीरता, ज्ञान, पराक्रम, प्रजा-रंजकता, गुरुभक्ति, मैत्री, करुणा, शरणागत- वत्सलता-जैसे अनन्त पृष्पोंकी दिव्य सुगन्ध है। मूलके साथ सरस गुजराती अनुवाद में दो खण्डोंमें उपलब्ध।

Category
Description
Related Products
Shopping cart2
The Secret Of Jnanayoga Pustakakar
-
+
Ramacaritamanasa A Romanized Edition Medium Size
-
+
Subtotal
490.00
Total
490.00
Search Products
×