Srimad Valmikiya Ramayan Sachitra Satik ( Set Of 2 Books ) Granthakar

700.00

10 in stock

Book Code – 75

Total Pages – 928

Book Code – 76

Total Pages – 924

Total Chapters – 18

Source – Ramayan

Category
Description

श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण:– त्रेतायुग में महर्षि वाल्मीकि श्रीमुखसे साक्षात् वेदों का ही श्रीमद्रामायणरूप में प्राकट्य हुआ था, ऐसी आस्तिक जगतकी मान्यता है। अतः श्रीमद्रामायणको वेदतुल्य प्रतिष्ठा प्राप्त है। धराधामका आदिकाव्य होनेके कारण इसमें भागवान् के लोकपावन चरित्रकी सर्वप्रथम वाड्मयी परिक्रमा है। इसके एक-एक श्लोकमें भगवान् के दिव्य गुण, सत्य, सौहार्द, दया, क्षमा, मृदुता, धीरता, गम्भीरता, ज्ञान, पराक्रम, प्रजा-रंजकता, गुरुभक्ति, मैत्री, करुणा, शरणागत- वत्सलता-जैसे अनन्त पृष्पोंकी दिव्य सुगन्ध है। मूलके साथ सरस हिन्दी अनुवाद में दो खण्डोंमें उपलब्ध।

Related Products
Shopping cart0
There are no products in the cart!
Search Products
×